सतरंगा - satranga

आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा
ऐसा हो पूरा चंद्रमा

ओ तारा तेरा एक तारा मेरा
बाकी अँधेरा आसमां
ना तेरे संग लागे
बंधे जो पीपल पे धागे
ये सूरमे के धारे
बहते हैं नज़रें बचा के

बदरंग में सतरंगा
है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा
है ये इश्क़ रे

बदरंग में सतरंगा
है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा
है ये इश्क़ रे

हो.. ओ..
हो.. ओ..

माथे से लगा लूं हाथ
छू के मैं पैर तेरे
हो रख लूं मैं
तन पे ज़ख्म
बना सारे बैर तेरे
रुकना नी तू हूँड़ रुसना नी मैं
तेरा नी रहा ते ना खुद दा वी मैं

दुनिया तू ही है मेरी
पर ना आना अब न आना
मैं नी आना सहर तेरे

जो फेरे संग लागे
रखते वो हमको जला के
वो आधे झूठे वादे
ले जा तू कसमें लगा के

रग रग में मलंगा
है ये इश्क रे
क्यों लहू में ही रंगा
है ये इश्क रे

हो बदरंग में सतरंगा
है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा
है ये इश्क़ रे

हो.. ओ.. हो.. ओ..
हो.. ओ.. हो.. ओ..

तू मेरे सारी यादें
पानी में आज बहा दे
ये तेरी भीगी आंखें
रख लूं लबों से लगा के

मैं समंदर, परिंदा है ये इश्क़ रे
मान मातम और जिंदा है ये इश्क रे
हो बदरंग में सतरंगा
है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा
है ये इश्क़ रे

हो..

बदरंग में सतरंगा
है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा
है ये इश्क़ रे.......