हमारी अधूरी कहानी - hamari adhuri kahani

पास आये दूरियाँ फिर भी कम ना हुई
इक अधूरी सी हमारी कहानी रही
आसमां को ज़मीं ये ज़रूरी नहीं
जा मिले, जा मिले
इश्क़ सच्चा वही
जिसको मिलती नहीं
मंज़िलें, मंज़िलें
रंग थे, नूर था, जब करीब तू था
एक जन्नत सा था ये जहां
वक़्त की रेत पे, कुछ मेरे नाम सा
लिख के छोड़ गया तू कहाँ
हमारी अधूरी कहानी...

खुशबुओं से तेरी यूँ ही टकरा गए
चलते-चलते देखो ना, हम कहाँ आ गए
जन्नतें गर यहीं, तू दिखे क्यों नहीं
चाँद सूरज सभी है यहाँ
इंतज़ार तेरा सदियों से कर रहा
प्यासी बैठी है कबसे यहाँ
हमारी अधूरी कहानी...

प्यास का ये सफ़र ख़त्म हो जाएगा
कुछ अधूरा सा जो था, पूरा हो जाएगा
झुक गया आसमां, मिल गए दो जहां
हर तरफ है मिलन का समां
डोलियाँ है सजी, खुश्बूएँ है हर कहीं
पढ़ने आया खुदा खुद यहाँ
हमारी अधूरी कहानी...