एक दिन मोहब्बत ओढ़ कर
एक दिन गली के मोड़ पर
तेरी हथेली पर लिखूँ मेरा नाम तेरे नाम पर
फिर तू तकल्लुफ़ छोड़ कर
फिर तू झुका कर के नज़र
रखना मेरे काँधे पे सर, ज़िंदगी
कुछ तो बता, ज़िंदगी
अपना पता, ज़िंदगी
कुछ तो बता, ज़िंदगी
अपना पता, ज़िंदगी
तारों-भरी एक रात में, तेरे ख़त पढ़ेंगे साथ में
कोरा जो पन्ना रह गया एक काँपते से हाथ में
थोड़ी शिकायत करना तू, थोड़ी शिकायत मैं करूँ
नाराज़ बस ना होना तू, ज़िंदगी
कुछ तो बता, ज़िंदगी
अपना पता, ज़िंदगी
कुछ तो बता, ज़िंदगी
अपना पता, ज़िंदगी