तुम ही आना - tum hi aana

तेरे जाने का ग़म, और ना आने का ग़म
फिर ज़माने का ग़म, क्या करें
राह देखे नज़र, रात भर जाग कर
पर तेरी तो खबर ना मिले


बहुत आई गई यादें
मगर इस बार तुम ही आना
इरादे फिर से जाने के
नहीं लाना तुम ही आना

मेरी दहलीज़ से होकर
बहारें जब गुज़रती हैं
यहाँ क्या धूप क्या सावन
हवाएँ भी बरसती हैं
हमें पूछो क्या होता है
बिना दिल के जिए जाना
बहुत आई गई यादें...

कोई तो राह वो होगी
जो मेरे घर को आती है
करो पीछा सदाओं का
सुनो क्या कहना चाहती है
तुम आओगे मुझे मिलने
खबर ये भी तुम ही लाना
बहुत आई गई यादें...

मरजावाँ
मरजा...

बेवजह था सफ़र, बिन तेरे हमसफ़र
लग रहा है तुझे देख के
ज़िंदगी की तरफ़, तू है पहला कदम
है तुझी में मेरी मंज़िलें
बहुत आई गई यादें...

लिखा है क्या नसीबों में
मोहब्बत के खुदा जाने
जो दिल हद से गुज़र जाए
किसी की वो कहाँ माने
जहाँ जाना नहीं दिल को
इसे है क्यूँ वहीं जाना
बहुत आई गई यादें...

मरजावाँ...
मरजावाँ...

कह रही है वफ़ा, साँसें हैं बेवजह
जो ना तुझपे लुटा हम सकें
इससे ज़्यादा हसीं, मौत होगी नहीं
तेरी बाहों में हम मर सकें

खतम होगी नहीं मिट के
कहानी ये कभी जाना
कहीं ऐसा न हो जाए
बिना दीदार मैं मरजावाँ.......